शहीद भगतसिंह का अन्छुआ पहलू,,,,,,भगतसिंह की कहानी उनके भांजे और सक्रिय विचारक प्रोफेसर जगमोहन सिह की ज़ुबानी।

0
Spread the love

देहरादून 6 मई 2023।
आज प्रेस क्लब देहरादून में शहीद भगतसिंह के जीवन और विचारों पर प्रोफेसर जगमोहन सिह ने जानकारियां दी।

शहीद भगतसिंह के भाई कुलतार सिंह हमारे पिता स्वाधीनता संग्राम सेनानी एवं राष्ट्रीय कवि से परिचित रहे, उनके बीमारी होने पर दून अस्पताल भी पहुंचे थे,,,,,
और एक संदर्भ आज भी याद है कि जब भगतसिंह जी की भतीजी ने एक पुस्तक निकाली थी,,, संजीवनी,,,,, इसका संपादन शीला संधू ने किया था( शहीद भगतसिंह की भतीजी) पिताजी ने अपने संस्मरणों की डायरी लिखी थी । इसमे फरारी जीवन की बातें लिखी है,,,,, ऐतिहासिक दस्तावेज,,,, दिल्ली, सहारनपुर और मेरठ मे अंडरग्राउंड थे वे / उसी मे उन्होंने 1946 मे दिल्ली मे गिरफ्तारी और जेल के शब्द चित्र भी है ।

सहारनपुर मे पद्मश्री पं कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी के पास शीला संधु के दर्शन हुए थे / उनकी सार्थक विचार जानने को मिले थे।
वही दिन याद आये आज भगतसिंह जी के भांजे से उनके बारे मे सुनना।

यह भी पढ़ें -  विधानसभा अध्यक्ष ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर कोटद्वार विधानसभा में विभिन्न कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि किया प्रतिभाग।

उन्होंने बताया,,,,, भगतसिंह जेल मे बंद थे,,,, वहां उन्है बाहर जाने की मनाही थी तो मल- मूत्र वही कोठरी के कमरे ही करना होता,,, जिसे एक युवा आकर ले जाता,,,, भगत सिंह उसे कहते,,ओ बेबे,,,,,वो रोज आता और वे रोज़ कहते,,,ओ बेबे,,,,इस पर नाराज़ होते हुए उस युवा ने कहा कि सरदार जी आप रोज़ बेबे कहकर मज़ाक मत बनाया करो,,,,इस पर भगत सिंह ने मुस्कुरा कर कहा कि मै मज़ाक नही कर रहा हूँ।

अरे ये काम बस दो लोगो ने ही किये है मेरे जीवन मे,,,,एक बचपन मे मेरी बेबे यानी मेरी मां और एक अब जब मुझे फांसी लगने वाली है,,,,,यह सुनकर वह युवा सफाई कर्मी भावुक हो उठा,,,,,,

यह भी पढ़ें -  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संचालित प्लास्टिक वेस्ट मेनेजमेंट के डिजिटल डिपॉजिट रिफन्ड सिस्टम का किया शुभारंभ।

जब भगतसिंह से फासी से पहले अंतिम इच्छा पूछी गयी तो उन्होंने कहा कि मुझे बेबे के हाथ की रोटी खानी है,,,,जेलर ने कहा वो तो चली गयीं अब तो वो यहाँ नही हैं,,,,इस पर भगतसिंह बोले नही वह यहाँ है और रोज़ मेरे पास आती है,,,,,पूछा कौन है वह,,,तो उन्होंने कहा वही सफाई कर्मी,,वह और मेरी बेबे ही यह निस्वार्थ सेवा कर सकती है मेरी,,,,तो वही बेबे जो युवा सफाई कर्मी है मेरी अंतिम इच्छा पूरी करेगा,,,,तो वह सफाई कर्मी घबरा गया और संकोच मे महसूस करने लगा कि ऐसा काम करने वाले के हाथ से बनी रोटी कैसे खायेगे सरदार जी,,,,पर भगत ने कहा कि तुम्हारा दर्जा,,,बेबे का है,,,,,,”

बेहद प्रेरक संस्मरण है ये,,,जो साबित करता है कि भगतसिंह व्यक्ति नही विचार है,,,फिर वे फाँसी पर झूल गये,,,,और अमर हो गये।

यह भी पढ़ें -  कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने आई०सी०वाई०फ० द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मैधावी छात्र छात्राओं को किया सम्मानित।

उन्होंने बहुत लिखा और बहुत पढा,,,पर उसे जीवन मे उतारा भी,,,,,कौन नही जानता कि जेल मे क्रांतिकारी हड़ताल कर रहे थे उनमे एक मांग यह भी थी कि कैदियों को पढने की सामग्री दी जाये और लिखने की भी,,,,डायरी मिलना जीत थी और भगतसिंह ने जो डायरी लिखी वह इतिहास है,,,,

चौदह बरस मे सत्याग्रह करते पकड़े गये और चौदह बेरोजगार की सजा मिली,,, उफ नही किया उनहोंने,,,,
वे कहते थे कि अपने पर विश्वास करो,,,,,

संकट भी हो तो भी जो लक्ष्य है उसे लगातार करते रहो,,,,

शहीद भगत सिंह का जीवन और साहित्य प्रेरणा का विषय है,,,, जिसकी आज सबसे ज्यादा जरुरत है।

उनका नारा था,,,, सम्राज्य वाद मुर्दाबाद, इंकलाब जिंदाबाद,,,,,

( आज एक भगतसिंह का मेरे जीवन मे महत्व,,, विषय पर युवा छात्र छात्राओं की एक भाषण प्रतियोगिता थी)

,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page