राष्ट्र निर्माण का मूल मंत्र है सद्भावनाः सतपाल महाराज।

0
Spread the love

शैलेन्द्र कुमार पाण्डेय।8210438343,9771609900
हरिद्वार,12 अप्रैल 2022। स्थानीय ऋषिकुल कॉलेज मैदान में मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में तीन दिवसीय विराट सद्भावना सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुविख्यात समाजसेवी एवं उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि धर्म के मार्ग पर चलते हुए, सद्भावना को फैलाते हुए आपसी प्रेम-भाव से आगे बढ़े और राष्ट्र निर्माण में सहभागी बने।

ऋषिकुल कॉलेज मैदान में मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में मंगलवार को तीन दिवसीय विराट सद्भावना सम्मेलन का शुभारंभ किया गया।

सद्भावना सम्मेलन में देश के कोने कोने से बड़ी संख्या में आये धर्म प्रेमियों को सम्बोधित करते हुए सुविख्यात समाजसेवी, राष्ट्र संत एवं प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि धर्म के नाम पर एक दूसरे से नफरत न करें बल्कि उस ज्ञान को अपनाएं जिसके जरिये चराचर में परमात्मा की शक्ति नजर आए, यह वैशाखी पर्व भी हमें सद्भावना का ही यही संदेश देता है।

यह भी पढ़ें -  कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र के वार्ड संख्या 25, हरसिंहपुर में जन संवाद के दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने क्षेत्रवासियों से सुनीं समस्याएं, दीं सरकारी योजनाओं की जानकारी।

सतपाल महाराज ने कहा कि परमात्मा की शक्ति को जर्रे-जर्रे में देखने के लिए हमें परम प्रकाश की आवश्यकता है, जिसके जरिये हम सब कुछ देख सकते हैं, अपने आपको सत्य के मार्ग पर चलाने का एक आधार बना सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हम सभी हनुमान जयंती मनाएंगे। हनुमान जी के अनंदर नाम सुमिरन के प्रति कितनी प्रबल आस्था थी वह हमेशा पावन नाम श्रीराम का स्मरण करते थे। उस पावन नाम का सुमिरन करने का ही प्रभाव था कि उन्होंने प्रभु श्रीराम को अपने वश में कर लिया। इससे उनका मन अति पवित्र हो गया था। उन्होंने कहा कि हम सब भी यही चाहते हैं कि हमारा मन भी पवित्र हो और हमारे अंदर भी सद्गुणों का संचार हो। लेकिन यह तभी संभव है जब हम उस नाम का सुमिरन करेंगे।

यह भी पढ़ें -  ऋतु खण्डूडी भूषण ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में की भेंट, उत्तराखंड के लोकपर्व इगास बग्वाल की दी शुभकामनाएं।

हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि जिस नाम का सुमिरन हनुमान जी ने किया था उस नाम का बोध सद्गुरु के बिना संभव नहीं है। इसलिए सद्गुरु की शरणागत होकर उस नाम के साथ अपने मन को जोड़ना चाहिए उसके बाद उसकी साधना प्रारंभ करनी चाहिए, तभी मन निर्मल होकर उपयुक्त सभी सद्गुण प्रकट होने लगेंगे ।

राष्ट्रसंत सतपाल महाराज ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनि आत्मज्ञानी हुआ करते थे, वे सभी प्राणियों को आत्मा से प्यार करते थे। उन्होंने अपने देश के लोगों के लिए ही नहीं बल्कि विश्व के चराचर जगत के सभी प्राणियों की विश्वात्मा परमपिता परमात्मा
से मंगल होने की कामना की।

आज सभी देश अपने नागरिकों की भलाई की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि यदि लड़ाई-झगड़े होते रहेंगे तो पेट्रोल-डीजल महंगा हो जाएगा, फिर सारी चीजें महंगी होती चली जाएंगी। इसलिए अध्यात्म ज्ञान का प्रचार प्रसार ही शक्ति को कायम कर सकता है।
सतपाल महाराज ने कहा कि आज इंटरनेट के जरिए हम संसार की हर प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं पर अध्यात्म ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर सकते वह तो केवल आत्मज्ञानी महान पुरुषों की शरण में आकर सेवा करके उनकी आत्मा को प्रसन्न करने पर ही प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि कभी भी बाहय चीजों से हम परिवर्तन नहीं ला सकते हैं।

यह भी पढ़ें -  स्वास्थ्य विभाग में 276 चिकित्सकों की जल्द होगी भर्तीः डॉ. धन सिंह रावत।

युग परिवर्तन के लिए हमें आकाश को, वायु को, जल को, धरती को, मिट्टी को बदलने की आवश्यकता नहीं है केवल हमें चंचल मन को बदलना है, तभी वास्तव में सच्चा युग परिवर्तन होगा।

सम्मेलन में पूर्व मंत्री पूज्य माता अमृता रावत, विभु जी महाराज व अन्य विभूतियों का संस्था के पदाधिकारियों ने फूल माल्यार्पण कर स्वागत किया तथा देश विदेश से पधारे विद्वान संत-महात्मागणों ने भी अपने सारगर्भित विचार रखे। मंच संचालन महात्मा हरि संतोषानंद ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page