राजकीय दुग्ध पर्यवेक्षक कल्याणार्थ एसोसिएशन ने भी दिया बर्खास्त कार्मिकों को अपना समर्थन।

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एसोसिएशन ने अन्य संगठनों को भी कार्मिकों की बहाली को लेकर समर्थन देने की अपील की।

शैलेन्द्र कुमार पाण्डेय।
देहरादून 22 फरवरी 2023। विधानसभा से बर्खास्त कार्मिकों के समर्थन में विपक्षी दलों के अलावा विभिन्न कर्मचारी संगठन, लगातार अपना सहयोग धरना प्रदर्शन को दे रहे हैं| इस बीच उत्तराखंड राजकीय दुग्ध पर्यवेक्षक कल्याणार्थ एसोसिएशन ने भी अपना भरपूर समर्थन बर्खास्त कार्मिकों को दिया है। साथ ही अन्य कार्मिक संगठनों से अपील भी की है कि बर्खास्त कार्मिकों की बहाली को लेकर सहयोग दें।

विधानसभा से बर्खास्त हुए 228 कार्मिकों का धरना प्रदर्शन विधानसभा के बाहर 2 माह से अधिक समय से लगातार चल रहा है, इस दौरान कार्मिक शांतिपूर्वक रुप से अपने न्याय की गुहार विधानसभा अध्यक्ष एवं सरकार से कर रहे हैं| इस बीच अन्य कार्मिक संगठन बर्खास्त कार्मिकों के साथ हुए भेदभाव एवं अन्याय पूर्ण कार्रवाई को लेकर खफा भी है।

    उत्तराखंड राजकीय दुग्ध पर्यवेक्षक कल्याणार्थ एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष सहदेव सिंह पुंडीर का कहना है कि वर्षों से विभिन्न संवर्गों में शासन द्वारा विधिवत स्वीकृत तथा रिक्त पदों पर तदर्थ कर्मचारी के रूप में नियमित तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे कर्मचारियों को सितंबर माह में बर्खास्त कर दिया गया| विधानसभा अध्यक्षा ने बिना कोई कारण बताए बिना सुनवाई के तथा बिना शो कॉज नोटिस दिए इन कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त किया है जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत की मूल भावना के विपरीत है। जिन पदों पर इन कर्मचारियों की नियुक्ति हुई थी, वे न सिर्फ शासन द्वारा विधिवत स्वीकृत एवं रिक्त थे, बल्कि वित्त विभाग, कार्मिक विभाग तथा राज्य मंत्रिमंडल से भी अनुमोदित थी।






  उन्होंने कहा कि बिना किसी कारण के सेवा से विरत करने के फलस्वरूप कार्मिकों की आर्थिक व दयनीय स्थिति को मद्देनजर रखते हुए पुनः सेवा में बहाल करने की माँग संगठन करता है। उन्होंने कहा कि विधान सभा सचिवालय सेवा भर्ती तथा सेवा शर्ते नियमावली 2011  में निहित प्राविधानों के अन्तर्गत विधान सभा अध्यक्ष को तदर्थ नियुक्ति करने का अधिकार प्राप्त है एवं इन्हीं नियमों के अधीन तदर्थ कार्मिकों का विनियमितिकरण करने की व्यवस्था भी है इन्हीं नियमों के अधीन 2001 से 2015 के बीच नियुक्त कार्मिकों का वर्ष 2013, 2014, 2015, 2016 में भी नियमितिकरण किया जा चुका है। परन्तु बर्खास्त कार्मिकों को लम्बी सेवा करने के उपरान्त भी अनदेखा किया गया। उन्होंने कहा कि 2016 एवं उसके बाद की नियुक्तियों पर भेदभाव पूर्ण कार्यवाही करना कहीं से भी उचित नहीं है, विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले को लेकर कर्मचारी संगठनों में रोष भी व्याप्त है।





  एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने धरना स्थल पर पहुंचकर विधानसभा अध्यक्ष एवं सरकार से पुनः बर्खास्त कार्मिकों की बहाली की मांग की है| वहीं अन्य कार्मिक संगठनों से भी बर्खास्त हुए कार्मिकों के धरने को सहयोग करने का आह्वान किया है|


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