हिन्दू समाज की एकता में राष्ट्र रक्षा निहित” पर गोष्ठी सम्पन्न !
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शुक्रवार 20 मई 2022, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “हिन्दू समाज की एकता में राष्ट्र रक्षा निहित है” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। वैदिक विद्वान आचार्य चंद्रशेखर शर्मा(ग्वालियर) ने कहा कि हिन्दू समाज की एकता में ही राष्ट्र रक्षा निहित है क्योंकि हिन्दू राष्ट्र्वादी है व राष्ट्र को अपनी मां मानता है। उन्होंने कहा कि “राष्ट्ररक्षा सर्वोपरि धर्म” है।हम भारतीयों का महाधर्म एवं महाकर्तव्य है कि राष्ट्ररक्षा,राष्ट्र सम्मान,राष्ट्रगौरव, राष्ट्रस्वाभिमान,राष्ट्र एकता और राष्ट्रअखंडता को सर्वोपरि मानकर श्रद्धा से सम्मान करें। हिन्दू समाज की एकता राष्ट्ररक्षा और राष्ट्रअखंडता के प्रति पूर्ण श्रद्धावनत है तथा सदा होनी चाहिए।आचार्य श्री ने भारतीयसंस्कृति एवं साहित्य में *” आर्य”* शब्द का प्रयोग ईश्वर पुत्र,श्रेष्ठ मानव,कर्तव्य परायण एवं गतिशीलता आदि दिव्यभाव हैं।वर्तमान समय में *” हिंदू”* शब्द का व्यवहार व्यष्टि से समष्टि अर्थ में हो रहा है।इस हिंदू शब्द का क्या अर्थ है? क्या भाव है?क्या प्रयोग है?क्या इतिहास है? यह जानना और समझना आवश्यक है।प्राप्त विवरणों के अनुसार इसके प्रमुख भाव इसप्रकार हैं।
1- हिमालय से *” हि”* और सिन्धु से *” इन्दु”* पद लेकर *” हिन्दू “* शब्द बना है।ऐसी अवधारणा है।
2- सिन्धु का अपभ्रंश प्रयोग *“हिन्दू “* है।
3- हिन्दुकुशपर्वत के पास रहने वालों को *” हिन्दू”* कहा गया।
4- हिन्दुकुशपर्वत श्रृंखला के आस-पास रहने वाले ल्रोगों को फ़ारस,ग्रीस,यूनान,मध्य एशिया और यूरोप आदि देशों के लोग अपनी भाषा के अनुसार *“इन्त,इन्तू,हिन्द,हिन्दू”* आदि शब्दों का प्रयोग करते थे।
5- अरब लोगों की पवित्र पुस्तक “लिसान अब अरल” में 800 ई. के आस-पास *” हिन्दुका”* शब्द का प्रयोग भारत के लोग इस अर्थ में हुआ है।
6- जन्दभाषा या आधुनिक फ़ारसी भाषा में “स” का “ह्” होने से सप्त-हप्त,सोम-होम,सेना-हेना इसीप्रकार से सिन्धु से हिन्दु बना है।
7- सिक्खधर्म के श्री गुरु गोविंदसिंह जी के ” दशम ग्रन्थ” में *” हिन्दु”* का प्रयोग है।
8- जो मानव हिंसा न करे और अहिंसक हो, वह *” हिन्दू”* है।ऐसा एक भाव प्रकट किया जाता है।हिन्दू समाज की पारस्परिक एकता में राष्ट्ररक्षा निहित यह विचार एवं मंथन सबको करना चाहिए।हमारे प्राचीन ऋषियों ने परमार्थ एवं परम हित का चिंतन करके अपनी दीक्षा और तप के द्वारा राष्ट्र के स्वरूप और राष्ट्र की परिकल्पना को साकार किया।
भद्रमिच्छन्तः ऋषयः स्वर्विदः, तपो दीक्षामुपनिषेदुरग्रे।
ततो राष्ट्रं बलमोजश्च जातं,तदस्मै देवा उपसंनमन्तु।।( अथर्ववेद)
आओ हम सब मिलकर राष्ट्रघोष, राष्ट्रनाद,राष्ट्रगीत और राष्ट्रजयगान श्रद्धा से करें।
मुख्य अतिथि राष्ट्रवादी विचारक महेश मुदगल (ग्वालियर) ने मुखर स्वर में कहा कि वर्तमान समय सबकी भावात्मक एकता, व्यावहारिक एकता और राष्ट्रीय एकता का है।अपने छोटे-छोटे मतभेदों को भुलाकर और संकीर्ण मानसिकता का परित्याग करके राष्ट्ररक्षा के महाव्रत को अपने पावन हदय में धारण करके एकसाथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ें।सम्रग हिन्दू समाज को एक साथ संगठित होने की परम आवश्यकता है।
अध्यक्ष ईश आर्य (प्रान्तीय प्रभारी,पतंजलि योगपीठ हरियाणा) ने कहा कि एक सूत्र,एक धागा में मोती बनकर हम सब स्वयं चमकें और देश को चमकायें।”संघौ शक्ति: कलियुगे” यह प्रेरक वचन हिन्दू समाज की एकता का महान निनाद है,महान स्वर है और महान जय घोष है।
युग की यही आवाज है,आओ मेरे हिन्दू भाइयो! एक हो जाओ, संगठित हो जाओ।अपना देश, अपनी संस्कृति,अपनी सभ्यता और अपनी महान विरासत के साथ राष्ट्र रक्षा के लिए एक हो जाओ ।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आर्य समाज हिन्दू समाज का प्रहरी है जब जब भी हिंदू समाज पर आक्रमण हुए आर्य समाज आगे आया है।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि संगठन में ही शक्ति है हमें राष्ट्र्वादी शक्तियों को मजबूत बनाना है ।
गायक रविन्द्र गुप्ता,पिंकी आर्या, दीप्ति सपरा,रचना वर्मा,रजनी गर्ग, रजनी चुघ, प्रवीना ठक्कर, ईश्वर देवी,जनक अरोड़ा, कमलेश चांदना के मधुर गीत हुए।