क्या आपके पैरों पर भी दिखती हैं नीली-बैंगनी नसें, जानिए कौन सी बीमारी है और क्या है वजह ?

0
Spread the love

क्या गर्मियों में पैर की नसें नीली और मोटी दिख रही हैं? यह गंभीर बीमारी हो सकती है वजह।

नसों से जुड़ी गंभीर बीमारी है वैरिकोज वेन्स, हो सकती है मौत, जानिए लक्षण, कारण और बचाव।

बैठने ही नहीं देर तक खड़े रहने के भी गंभीर परिणाम, हो सकती है मौत।

देहरादून 10 जून 2023। आजकल की भागती दौड़ भाग की जिन्दगी को लेकर ‘विचार एक नई सोच’ संगठन ने पेरिफेरल वास्कुलर जैसी बीमारी को लेकर एक दिवसीय जागरूकता अभियान चलाया गया है। विचार एक नई सोच के सचिव राकेश बिजलवाण का मानना है कि आज के दौर में इस बीमारी के चपेट में महिलाएं व पत्रकार सर्वाधिक आ रहे है। इसलिए ऐसी घातक बीमारी से कैसे बचाव किया जाये, इस हेतु वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डा॰ प्रवीण जिन्दल को इस अभियान का हिस्सा बनाया गया है। देहरादून से शुरू हुआ यह अभियान पूरे राज्य में चलाया जायेगा। इस बीमारी के प्रति लोगों की जागरूकता के लिए उत्तराखंड के सीमांत इलाकों व दुर्गम क्षेत्रों में निशुल्क हैल्थ कैंप भी लगाये जायेंगे।

विचार एक नई सोच अभियान के हिस्सा बने डा॰ प्रवीण जिन्दल ने पत्रकारो को बताया कि यह बीमारी मौजूदा कार्य की संस्कृति में हुए बदलाव के कारण बढ रही है। अधिक समय तक एक स्थान पर बैठने से ही नहीं बल्कि देर तक खड़े रहने से भी नसों से संबंधित बीमारी हो सकती है। स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक भी अक्सर नसों से संबंधित इस तरह की बीमारी यानी वैरिकोज की समस्या से ग्रसित हो रहे हैं। क्योंकि अधिकांश स्कूलों में शिक्षक खड़े होकर ही बच्चों को पढ़ाते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया यह बीमारी महिलाओं, पत्रकारो, शिक्षकों और सैनिको में सबसे ज्यादा हो रही है। इसीलिए कि वे दिनभर में अधिकांश खड़े ही रहते है। अधिक समय खड़े रहने से ही यह बीमारी बढ जाती है। इसके अलावा खान पान और शाररिक व्यायाम के आभाव में भी नसों से संबधित बीमारियां फैलती है। डॉ जिदंल ने कहा कि इसका संबध खून से होता है और बाद में यह वास्कुलर, वेरीकोस वेंस, हाथ पैरो के जोड़ो में दर्द, पैरो में सूजन और डीप वेन थ्रोम्बोसिस जैसी घातक बीमारी का रूप ले लेती है।

यह भी पढ़ें -  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर कचहरी देहरादून में शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को दी श्रद्धांजलि।

अनियमित जीवनशैली नसों से जुड़ी बीमारियों का प्रमुख कारण
उत्तराखंड के एकमात्र वैस्कुलर सर्जन डा. प्रवीण जिंदल ने देहरादून व आसपास के स्कूलों में अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। इसके अलावा उन्‍होंने मधुमेह, धूमपान व शराब का सेवन व अनियमित जीवनशैली भी नसों से जुड़ी बीमारियों को भी प्रमुख कारण बताया है।
डा. प्रवीण जिंदल का कहना है कि रक्त वाहिकाएं शरीर के विभिन्नि अंगों में आक्सीजन युक्त रक्त ले जाने वाली धमनियां व डीआक्सीजेनेटेड रक्त को हृदय में वापस ले जाने वाली नसें हैं। आक्सीजन के बिना शरीर का कोई भी अंग काम नहीं कर सकता है। धमनियों व नसों के रोग ऐसी स्थितियों का कारण बन सकते हैं जो या तो रक्त की आपूर्ति को रोक या कम कर सकते हैं। इस प्रकार के रोग में रक्त के थक्के बनना या धमनियों का सख्त होने जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इसके अलावा चलने-फिरने पर पैर या टांगों में दर्द अथवा थकावट महसूस होना, स्ट्रोक, पेट दर्द व गैंग्रीन जैसी बीमारी भी नसों में खून की आपूर्ति बाधित होने से हो सकती है। डीप वेन थ्रोम्बोसिस यानी नसों में रक्त के थक्के जमने से व्यक्ति की मौत तक हो सकती है। वहीं क्रानिक शिरापरक रोग व वैरिकोज नसें भी व्यक्ति के लिए प्राणघातक साबित हो सकती है।

तम्बाकू और शराब के सेवन से बचें, शुगर व कोलेस्ट्राल पर करें नियंत्रण
डा॰ प्रवीण जिन्दल के अनुसार ऐसी घातक बीमारी से बचने के आज कई प्रकार के उपचार उपलब्ध है। अच्छा हो कि बीमारी से पहले हमें सुरक्षा के बचाव खुद से करना चाहिए।
डा. प्रवीण जिंदल का कहना है कि स्वस्थ्य जीवनशैली, धूमपान व शराब का सेवन नहीं करना, संतुलित आहार, शुगर व कोलेस्ट्राल पर नियंत्रण करने से भी नसों से संबंधित बीमारियों से बचा जा सकता है। खड़े रहने के कार्याे में तब्दीली करनी होगी साथ ही शाररिक व्यायात को महत्व देना होगा। दौड़भाग की जिन्दगी के साथ सबसे पहले खुद के स्वास्थ्य का ख्याल रखना आज की बहुत जरूरी आवश्श्यकता हो गई है।

वंशागत भी हो सकती है नसों से जुड़ी बीमारियां
विचार एक नई सोच के राष्ट्रीय संवाहनी जागरूकता कार्यक्रम के तहत डा॰ प्रवीण जिन्दल ने बताया कि बाह्य धमनी रोग, शूगर, टांगो में दर्द, वेरीकोस वेंस, डीप वेन थ्रोम्बोसिस जैसे अघात रोग सर्वाधिक बढ रहे है। यह सभी रोग खून की परेशानियों से विभिन्न प्रकार की बीमारी के रूप में सामने आ रहे है। और कई बार यह बीमारी वंशागत भी हो जाती है। इसके लक्षण कम ही पाये जाते है। इसलिए जरूरी है कि शाररिक व्यायाम करना नियमित होना चाहिए, कार्य की संस्कृति में सबसे पहले स्वास्थ्य का ध्यान रखना अवश्य हो। इस दौरान पत्रकार वार्ता में विचार एक नई सोच के सचिव राकेश बिजल्वाण, समाजसेवी मनोज इस्टवाल, प्रेम पंचोली सहित सैकड़ों लोग मैजूद थे।

यह भी पढ़ें -  सचिवालय विवाद में बॉबी पवार ने दी अपनी सफाई।

शरीर में ये लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
डा. जिंदल का कहना है कि अन्य राज्यों की तुलना में नसों से संबंधित बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या उत्तराखंड में अधिक है। क्योंकि यहां पर लोग धूमपान व शराब का सेवन अधिक करते हैं। नसों से जुड़ी बीमारियों का समय पर इलाज नहीं कराने से व्यक्ति के शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। कम दूरी तय करने में ही थकावट महसूस होना, पैरों व टांगों में सूजन, पैर के रंग का परिवर्तन होना, सुन्नपन, पैर की उंगलियों का काला पड़ना, पेट में तेज दर्द होना, लकवा जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत वैस्कुलर चिकित्सक से सलाह लेकर इलाज करना चाहिए।

वेरिकोज वेन्स की वजह
ज़्यादा देर तक खड़े रहना- यदि आप ज़्यादा देर तक खड़े रहते है तो आपके पैरों में सूजन आने लगती है। ऐसे में आपको थोड़ी-थोड़ी देर में आराम करते रहना चाहिए. इससे पैरो में सूजन नहीं आएगी और नसों को आराम मिलेगा।
ज्यादा वजन के कारण-
ज़््यादा वजह होने के कारण आप जब भी खड़े रहते हैं, तब नसों पर दबाव पड़ता है जिसके कारण ब्लड़ फ्लो धीमा हो जाता है. ऐसे में वजन ज़्यादा होने के कारण भी नसें सूज जाती हैं।
पैरो पर ज़्यादा जोर पड़ना-
जब भी पैरों पर या शरीर के निचले हिस्से पर ज़्यादा जोर पड़ता हैं तो वहां खून जमने लगता है, जिसके कारण नसे सूझ जाती हैं. यह समस्या ज्यादातर हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा या प्रेगनेंसी में होती है।
अनुवांशिक वजह से-
कई बार लोगों को यह बीमारी अपने पूर्वजों के कारण भी होती हैं. यदि परिवार में किसी को वैरिकोज की समस्या है, तो ऐसा संभव हैं कि आपको भी हो सकती है।

यह भी पढ़ें -  प्रदेश सरकार का एकमात्र लक्ष्य गांवों का विकास : आशा नौटियाल।

वेरिकोज वेन्स के लक्षण
नसों में दर्द और सूजन होना- यह ज्यादातर काफी समय खड़े रहने या काफी समय तक चलने के कारण होती है।
पैरो में सूजन- जब ज्यादा वजन बढ़ता है तो इससे नसें दब जाती हैं, इससे धीरे-धीरे पैरों में सूजन आने लगती है।
सूखी त्वचा का होना- जब चेहरा सूखने लगता है तो ध्यान रखिये की आप डॉक्टर से कंसल्ट करें।
रात में पैरो में दर्द होना- कई बार आपने महसूस किया होगा कि जब आप रात में सोने जाते हैं तो एकदम से पैरो में दर्द शरू हो जाता है. यह वेरिकोज वेन्स का ही एक लक्षण हैं।
नसों के आसपास त्वचा का रंग बदलना- कई बार आपने देखा होगा जब नसें नीली या बैंगनी सी होने लगती हैं। यह खून जाम होने की वजह से होता है. इससे वेरिकोज वेन्स की परेशानी हो सकती है।

वेरिकोज नसों का इलाज
व्यायाम करें-
व्यायाम करने से आपका वजन सही रहेगा जिससे आपके पैरो पर दबाव नहीं पड़ेगा. पैरो पर दबाव न पड़ने से ब्लड़ फ्लो भी सही रहेगा और आपको किसी तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ेगा।
ज्याद देर तक खड़े न रहें-
ज्यादा देर तक खड़े रहने से ब्लड़ फ्लो धीमा हो जाता है और धीरे धीरे पैरो में सूजन आने लगता है. इसलिए ज्यादा देर तक खड़े न रहें।
टाइट कपडे न पहने-
टाइट कपड़े पहनने से नसें दबने लगती हैं फिर नसों में सूजन आ जाती है. इससे नसों का रंग बदलने लगता है. आप कोशिश करें ज्यादा टाइट कपडे न पहनें।
हील्स न पहने-
आपने अक्सर यह महसूस किया होगा कि जब भी आप हील्स पहनते हैं तो पैरो में सूजन आ जाती है. इसलिए हील्स न पहने ताकि आपके पैरों में सूजन न आएं।
कम्प्रेशन मौजो का इस्तेमाल करें-
कम्प्रेशन मौजे पहनने से ब्लड़ फ्लो सही रहता है, पैरो की सूजन कम हो जाती है. नसों से जुडी बीमारियों में सुधार आता है और ब्लड क्लॉट से बचाता है. पैरों की परेशानी होने पर कम्प्रेशन मौजों का इस्तेमाल करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page