एनईपी लागू करने में निजी विश्वविद्यालयों की भागीदारी अहम: धन सिंह रावत।
।नई शिक्षा नीति को लेकर निजी विश्वविद्यालयों के साथ हुई सार्थक चर्चा।
उच्च शिक्षा के अंतर्गत वर्तमान सत्र से प्रथम सेमेस्टर में लागू होगी एनईपी।
शैलेन्द्र कुमार पाण्डेय।8210438343,9771609900
देहरादून, 4 जून 2022।
सूबे में उच्च शिक्षा के अंतर्गत वर्तमान शैक्षिक सत्र से नई शिक्षा नीति-2020 को लागू किया जाएगा। नई शिक्षा नीति को राज्यभर के राजकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में प्रथम सेमेस्टर शुरू किया जायेगा, जिसकी तैयारियां विभागीय स्तर पर पूरी कर दी गई है। राज्य में एनईपी लागू करने में निजी विश्वविद्यालयों की भागीदारी बेहद जरूरी है।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने राज्य में नई शिक्षा नीति-2020 को लागू करने को लेकर आज डीआईटी विश्वविद्यालय में राज्य के निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक की।
डॉ रावत ने बताया कि सूबे में आगामी जुलाई माह से उच्च शिक्षा के अंतर्गत प्रथम सेमेस्टर में नई शिक्षा नीति-2020 राजकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में लागू कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि एनईपी लागू करने को लेकर निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ विस्तार से चर्चा की गई।
डॉ रावत ने कहा कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत स्वरोजगार, भारतीय ज्ञान परम्परा, च्वाइस बेस क्रेडिट सिस्टम(सीबीसीएस), क्रेडिट बैंक पर फोकस रहेगा। उन्होंने बताया कि विभिन्न निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों द्वारा एनईपी लागू करने को लेकर अपने-अपने विचार रखे साथ ही अपने शिक्षण संस्थानों द्वारा की गई तैयारियों की जानकारी साझा की।
बैठक में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन. के. जोशी ने राज्य सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा तैयार पाठ्यक्रम एवं एनईपी गाइडलाइन का प्रस्तुतिकरण दिया।
बैठक में उच्च शिक्षा सचिव शैलेश बगोली, कुलाधिपति डीआईटी विश्वविद्यालय एन. रविशंकर, कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय प्रो. एन. के. जोशी, सलाहकार रूसा प्रो. एम. एस. एम. रावत, प्रो. के.डी. पुरोहित, संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. ए. एस. उनियाल, डीआईटी विश्वविद्यालय, आईएमएस विवि, ग्रिफिक एरा विवि, यूपीईएस विवि, एसजीआरआर विवि, ज़ी हिमगिरि विवि, श्रीराम हिमालयन विवि, क्वांटम विवि, उत्तरांचल विवि, रास विहारी बोस सुभारती विवि, पतंजलि विवि, देव संस्कृति विवि सहित दो दर्जन से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने प्रतिभाग किया।