कभी भी जमींदोज हो सकता है यह गांव, मौत के साए में जीने को मजबूर 20 परिवार
उत्तराखंड / रुद्रप्रयाग/ :- भूस्खलन के चलते रुद्रप्रयाग जिले के बच्छणस्यूं पट्टी का पाटा गांव कभी भी जमींदोज हो सकता है। यहां आवासीय बस्ती और गौशालाओं को खतरा उत्पन्न हो गया है। गांव में रह रहे 20 परिवार खतरे की जद में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं वही बिजली का ट्रांसफार्मर कभी भी भूस्खलन की चपेट में आ सकता है, लेकिन अभी तक गांव की सुरक्षा हेतु किसी तरह के सुरक्षात्मक उपाय नहीं किये गए हैं।
बता दें कि बच्छणस्यूं-पाटा मोटरमार्ग के निर्माण के चलते पाटा गांव में भूस्खलन की समस्या उत्पन्न हुई है। पिछले वर्ष से यहां भूस्खलन हो रहा है, लेकिन अभी तक किसी तरह का ट्रीटमेंट नहीं हुआ है। भूस्खलन से पाटा गांव के 20 परिवार खतरे की जद में आ गए हैं। ग्रामीणों की गौशालाएं खतरे की जद में आ गई हैं। बिजली के पोल और ट्रांफार्मर कभी भी ढह सकते हैं। गांव के लोग मौत के साए में जीने को मजबूर हैं, और लगता है शासन-प्रशासन किसी बड़े हादसे के इंतजार में हाथ पर हाथ रख कर बैठा है l
वहीं स्थानीय लोगों की समस्या को देखते हुए उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ता सड़क बाधित होने पर आठ किमी पैदल चलकर पाटा गांव पहुंचे। उन्होंने पाटा गांव में हो रहे भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र का जायजा लिया। यूकेडी जिला उपाध्यक्ष युवा नेता मोहित डिमरी ने जिलाधिकारी और नेशनल प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) के अधिकारियों को पूरी घटना से अवगत कराया और मांग की कि जल्द यहां पर सुरक्षात्मक उपाय किये जाएं।
वही ग्राम प्रधान पुष्पा देवी का कहना है कि इस वर्ष हुई भारी बारिश के बाद भूस्खलन तेजी से हो रहा है। इसके बावजूद सुरक्षा दीवार का निर्माण नहीं किया जा रहा है। कई बार संबंधित विभाग से शिकायत के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पुस्तैनी घर कभी भी ढह सकते हैं। मवेशियों को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। पशुओं से ही ग्रामीणों की आजीविका चलती है। तेजी से हो रहे भूस्खलन के कारण ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि पशुओं को लेकर जाएं तो जाएं कहां। रहने के लिये भी कोई दूसरा ठिकाना नहीं है। भूस्खलन से ग्रामीणों के आवासीय भवनों को खतरा बना हुआ है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या प्रशासन नींद से जागता भी है या आंखें बंद कर हाथ पर हाथ रखें किसी बड़े हादसे का इंतजार करता है l