डॉ. वंदना खण्डूड़ी की नवीनतम साहित्यिक कृति “मंथन” का लोकार्पण विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण के कर-कमलों द्वारा हुआ संपन्न।

0
IMG-20250609-WA0163
Spread the love

देहरादून 9 जून 2025। श्री गुरु नानक पब्लिक बालक इंटर कॉलेज, देहरादून में प्रवक्ता (जीव विज्ञान) पद पर कार्यरत व चर्चित साहित्यकार डॉ. वंदना खण्डूड़ी की नवीनतम पुस्तक “मंथन” का भव्य लोकार्पण आज उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण के कर-कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ।

“मंथन” एक बहुआयामी साहित्यिक कृति है, जिसमें लेख, आलेख एवं लघुकथाओं के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं, पौराणिक आख्यानों और जीवन-दर्शन को एक नवीन दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। विशेष रूप से सती सावित्री व्रत कथा का पुनर्पाठ, कल्कि अवतार, श्रीकृष्ण के श्रीनारायण स्वरूप तथा श्रीराधा की करुणामयी छवि जैसे प्रसंगों को डॉ. वंदना ने अद्भुत संवेदनशीलता और गहन साहित्यिक सौंदर्य के साथ शब्दबद्ध किया है।

यह भी पढ़ें -  फ्लेबोटोमिस्ट ट्रेनिंग सेंटर से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के साथ युवाओं को मिलेगा रोजगार का अवसर: ऋतु खण्डूडी भूषण।

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण ने “मंथन” को एक वैचारिक यात्रा की संज्ञा देते हुए कहा कि “डॉ. वंदना की लेखनी समाज, संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना को एक नई दृष्टि प्रदान करती है। ‘मंथन’ केवल पठन का विषय नहीं, बल्कि मनन का निमंत्रण है। ऐसे साहित्यिक प्रयास समाज में विचार और संवाद को प्रोत्साहित करते हैं।”

यह भी पढ़ें -  अफसरों की लापरवाही से जनता को न हो समस्या : ऋतु खण्डूडी भूषण।

डॉ. वंदना खण्डूड़ी इससे पूर्व भी साहित्य जगत में अपनी विशेष पहचान बना चुकी हैं। उनकी प्रकाशित काव्यकृतियाँ “दिल के एहसास”, “काव्य-स्पर्श” और “अनुभूति – भावों की अनुभूति” पाठकों और समीक्षकों के बीच सराही गई हैं। साथ ही, उनकी रचनाएँ विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रही हैं।

उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें उत्तराखंड शिक्षक सम्मान (विश्व हिंदी रचनाकार मंच), राष्ट्रीय गौरव सम्मान, अटल हिंदी रत्न सम्मान, महादेवी वर्मा सम्मान, नीरज सम्मान, तथा अमृता प्रीतम मेमोरियल अवार्ड सहित अनेक राष्ट्रीय स्तर के सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।

यह भी पढ़ें -  स्वास्थ्य केंद्र में ही दवाई उपलब्ध करवाएं, बाहर की दुकानों पर भेजना बंद करें: ऋतु खण्डूडी भूषण।

डॉ. वंदना का मानना है कि “साहित्य केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि समाज और आत्मा के बीच संवाद की एक जीवंत धारा है। ‘मंथन’ इसी धारा में बहते प्रश्नों और अनुभूतियों की एक विनम्र प्रस्तुति है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page