एक मां की दर्द भरी कहानी

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ऐसे बेटों और रिश्तों की क्या आवश्यक्ता है। ये बुजुर्ग 4 बेटों और एक बेटी की माँ है । कौन इन्हें मुंबई छोड़ आया और क्यों? उम्र के इस पड़ाव में जब अपनों की आवश्यक्ता होती है तो उसे बोझ समझकर निस्सहाय छोड़ देते हैं। पागल हैं वे लोग जो अपने अंतिम दिनों के लिए कुछ बचाकर नहीं रखते । लानत है ऐसी औलादो पर लेकिन पुण्य पाप का हिसाब-किताब यहीं हो जाता है बस वक़्त की करवट पर निर्भर है ।

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